*~*~*~*~*~जानवर~*~*~*~*~*
रात में ख्यालों में आती हो तुम,
कभी सामने आकर भी देखो!
हम से बातें तो रोज करते हो तुम,
कभी हमारी तरफ मुस्कराकर भी देखो!
हमारी नज़र बहुत कुछ कह देती है,
कभी हमें नज़रों से समझ कर तो देखो!
हमसे दोस्ती का रिश्ता है तुम्हारा,
कभी हम से दिल लगा कर तो देखो!
हमारी बातों ने तुम्हारा दिल कहीं बार बहलाया है,
कभी अपनी बातों से हमें हँसा कर तो देखो!
मुझसे मिलकर अंजाने में, दिल में बसने लगती हो,
कभी हमें भी अपने दिल में बसा कर तो देखो!
हर मुश्किल राह भी आसान हो जायेगी बस,
हम पर एक बार ऐतबार कर के तो देखो!
हम तुम्हें जिन्दगी में हर "खुशी" देंगे,
बस एक बार हमें प्यार कर के तो देखो!
तुम्हें पाने के लिये हर इम्तिहान देंगे हम
हमें कभी आजमा कर तो देखो!
तुम कहते हो की बहुत मुश्किल है मुझे अपनाना,
एक बार हमें अपना बना कर तो देखो!!!!!!!!!!
*~*~*~*~*~*~*तेरे नाम*~*~*~*~*~यही तो है
1 comments:
बहुत सही रचना है भाई
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तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
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