कैसे भी हो.....

Tuesday, May 12, 2009 ·

*~*~*~*~*~*जानवर~*~*~*~*~*
बहारों में पतझड़ के साये है,
नजारों पर अन्धेरे से छाये है,
फुलों के दामन में कांटे है,
बागों में फैले सन्नाटे है,
कोयल की कूक अनजानी है,
हंसी की आँखों में पानी है,
खुशनुमा झोंकों में महक नहीं,
आसमां में पंछियों की चहक नहीं,
ख्यालों की कोई जंजीरे नहीं,
ख्वाबों सी कोई तकदीरें नही,
दिल की धड़कनों में सिर्फ़ आहें है,
गलत मन्जिलों पर जाती हुई राहें है,
नाकामयाब सी कई कोशिशे है,
भोलेपन में छुपी साजिशे है,
हम इस छल भरी दुनियाँ में,
जाये तो जाये कहाँ???????
*~*~*~*तेरे नाम*~*~*~*~*यही तो
है

2 comments:

Udan Tashtari said...
May 13, 2009 at 2:07 AM  

बहुत सही!!

गोविन्द K. प्रजापत "काका" बानसी said...
May 13, 2009 at 11:15 AM  

बस आपका आशीर्वाद चाहीये!!!!!!!

Post a Comment