यार को मैंने.....

Thursday, February 5, 2009 · 1 comments

***************जानवर***************
कुछ दिन पहले मुहब्बत को मुहब्बत समझा हमने,
मुहब्बत हुई, मुहब्बत को अपना समझा हमने.
मुहब्बत में इस कदर मदहोश हो गये,
इस कि बेवफाई को वफा समझा हमने.
जख्म इस कदर मुहब्बत ने दिये,
इन जख्मों को फुल समझा हमने.
मुहब्बत कि चीख-ओ-पुकार इस कदर थी,
आस-पास के लोगों के रोने को हसनां समझा हमने.
मुहब्बत कि शिद्दत में आंखें इस कदर चौंधिया गये,
हर चमकती हुई चीज को सोना समझा हमने.
दीवाना इस कदर मुहब्बत ने बनाया हमको,
अपनों को बैगाना और "उनको" अपना समझा हमने.
मुहब्बत कि यादें दिल पर कुछ युं नक्श कर गई,
भुलने कि कोशिश में खुद को ही भुला दिया हमने.
**********तेरे नाम*************यही तो है.