तेरे नाम……

Friday, January 30, 2009 · 0 comments

***********जानवर************
पत्थर बना दिया मुझे रोने नहीं दिया,
दामन भी तेरे गम ने भिगोने नहीं दिया.
तन्हाईयाँ तुम्हारा पता पुछती रही,
रात भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया.
आंखों में आकर बैठ गयी आंसुओं की लहर,
पलकों पर कोई ख्वाब, पर रोने नहीं दिया.
दिल को तुम्हारे नाम के आंसू अजीज थे,
दुनियाँ का दर्द दिल में समाने नहीं दिया.
"काका" युहीं उसकी याद चली हाथ थाम कर,
मेले में इस जहां के खोने नहीं दिया..
********तेरे नाम********यही तो है

दु:ख

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******जानवर*******
दु:ख अनमोल होते है,
कुदरत कि दौलत है,
कभी कुछ देकर जाते है,
कभी सब छीन ले जाते है,
कभी बैचेन करते है,
कभी जीना सिखाते है,
कभी बनाते है जब आंसू
उम्र भर लहु के रुलाते है,
कभी लबों की हँसी बन कर,
नई दुनियाँ सजाते है,
कभी मीठी कसक बन कर,
अंजान खालिश बन कर,
मकान-ए-दिल ये बनाते है,
किसी सूरत नहीं मिटते,
जो इन से दूर भागो तो,
कहीं जाने नहीं देते,
ना जिन्दा रहने देते है,
ना ये आजाद करते है,
नहीं जिस की दवा कोई,
ये ऐसा दर्द होते है,
मगर यह भी एक हकीकत है"काका"
हर एक को तो नहीं मिलते,
बड़े नायब होते है, दु:ख
"दु:ख अनमोल होते है...!!!!!
****तेरे नाम********यही तो है