~*~*~*~*~*~जानवर~*~*~*~*~*~ऎ बेवफा जिन्दगी क्यों मुझसे दगा करती हो?जो भी बना अपना, उसे पराया करती हो,चाहा जो मुस्कुराना तो आँखे भीगोती हो.अब यहाँ कोई नहीं, क्यों इन्तजार करवाती हो?कौन है यहाँ जो सुलझाये उलझी जुल्फ़ें,क्यों टूटे दिलों को युं जलाती हो?अगर गम-ए-दर्द का ही समुन्दर हो तो,क्यों चाहत का मीठा दर्द जगाती हो?शाम ढले जो पागल दिल सोना चाहे,क्यों मुझे रुलाने चली आती हो?जिन्दगी क्यों मुझसे दगा करती हो?????*~*~*~*~*~*~*तेरे नाम*~*~*~*~*~यही तो है
hey govind, i am vikas verma {prajapati} from jaipur. Aap nai kavita acchi likhi hai.
बहुत सुंदर लिखा ...
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2 comments:
hey govind, i am vikas verma {prajapati} from jaipur. Aap nai kavita acchi likhi hai.
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