*~*~*~*~*~*~* जानवर *~*~*~*~*~*~*दिल जलेगा तो जमाने में उजाला होगा,हुस्न जर्रों का सितारों से निराला होगा.कौन जाने ये मुहब्बत कि सज़ा है की सिला,हम “साहिल" पर पहुँचे तो किनारा ना मिला.बुझ गया चाँद किसी दर्द भरे दिल की तरह,रात का रंग अभी और भी काला होगा,देखना रोयेगी, फरयाद करेगी दुनियाँ,हम ना होंगे तो हमें याद करेगी दुनियाँ,अपने जीने की अदा भी अनोखी सब से,अपने मरने का अन्दाज भी निराला होगा...!*~*~*~* तेरे नाम*~*~*~*~* यही तो है *~*~*
*~*~*~*~*~*~* जानवर *~*~*~*~*~*~*गमों की जमीन पर कोई “खुशी" का मचान नहीं है,क्या हुं? कौन हुं मैं? मुझे अपनी पहचान नहीं है,काश!!! उड़ पाता कहीं ऊँचे अपने यह पँख फ़ैला कर,अफ़सोस!!! मेरे मुकद्दर में कहीं आसमां नहीं है,भीड़ में रह कर भी रहा हुँ सदा तन्हा मैं,मेरे लिये किसी भी राह में कोई कारवाँ नहीं है,गम छुपाने की हर अदा मालुम है मुझको,देखो मेरी हँसी में कोई भी गम का निशां नहीं है,अब तो हर सुबह गुजरेगी ऐसे ही आपस में गले मिल कर,अब तो कोई भी मेरे और गम के दरमियां नहीं है,इस दुनियाँ में सभी जीते है, कुछ आरजू ले कर,अपना दिल है पत्थर का इसका कोई अरमां नहीं है..*~*~*~*~*~*~* तेरे नाम*~*~*~*~* यही तो है *~*~*