*~*~*जानवर*~*~*~*चलो फिर ख्वाब देखते हैदिल कि ज़मीन में उम्मीद केकुछ बीज बोते हैबे मन्ज़िल सफर मेंगुबार से अटे चेहरे को धोते हैचलो हम फिर से कोई ख्वाब देखते हैगुलशन-ए-दिल मेंनये मौसम उगाते हैकिनारों की ख्वाहिश मेंभीगे बदन को फिर से सुखाते हैफिर कोयलों की बोली मेंकुछ गीत सुहाने लिखते हैकुछ शेर पुराने लिखते हैकुछ नये अफसाने लिखते हैदिल की ख्वाहिश काफिर से एहतेराम करते हैचलो यह काम करते हैकोइ ख्वाब देखते हैफिर से गीली रेत परसपनों के महल बनाते हैउन महलों की छतों परफिर कोयलों को सुनते हैबिखरी हुई खाक सेहम फिर मोती मिलन के चुनते हैऔर बिखरी माला पिरोते हैचलो फिर ख्वाब देखते हैचलो नये ख्वाब देखते है*~*~*तेरे नाम *~*~*यही तो है~*~*