*~*~*~*~*~*जानवर*~*~*~*~**~*~*~*धुंआ बना कर फिज़ा में उड़ा दिया मुझको,मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको.खड़ा हुं आज भी रोटी के चार टुकड़ों के लिये,सवाल यह है किताबों ने क्या दिया मुझको???सफैद रंग कि चादर लपैट कर मुझ पर,बिजुका की तरह खैत पर किस ने सजा दिया मुझको?मैं एक जरा बुलन्दी को छुने निकल था,हवा ने थाम कर, जमीन पर गिरा दिया मुझको..*~*~*~*~*तेरे नाम*~*~*~*~*~*~*यही तो है.
किसी चिंगारी को हवा देकि वो जलना चाहे तेरे सीने में दफ़न है वो पलना चाहे बाकी की पंक्तियाँ कल अपने ब्लॉग पर पेश करूंगी |
मैं एक जरा बुलन्दी को छुने निकल था,हवा ने थाम कर, जमीन पर गिरा दिया मुझको..सही सुन्दर लगी यह पंक्तियाँ
@रंजना जी,बहुत-बहुत्त शुक्रियां आपने समय दिया। बस आप सब का हाथ मेरे सर पर बना रहे, मैं अपनी तरफ से अच्छा करने का प्रयास करुंगा।
मैं भी प्रजापत और, तुम भी तो हो प्रजापत,ब्लाग जगत में आने पर मैं करता हूँ स्वागत।तुमको लिखने की आदत है, मुझको पढ़ने की ही लत है।जलता हुआ बुझाया तुमको, कभी नही अब जलना।झंझावातों को सह जाना, फूलों सा काँटों में पलना।
dear this is really very nice and beautiful.and it has very deep thought for understand it imagination power should be very high.And i hope you have very good creativity so use it in a very proper way.My wishes always with you.
Post a Comment
5 comments:
किसी चिंगारी को हवा दे
कि वो जलना चाहे
तेरे सीने में दफ़न है
वो पलना चाहे
बाकी की पंक्तियाँ कल अपने ब्लॉग पर पेश करूंगी |
मैं एक जरा बुलन्दी को छुने निकल था,
हवा ने थाम कर, जमीन पर गिरा दिया मुझको..
सही सुन्दर लगी यह पंक्तियाँ
@रंजना जी,
बहुत-बहुत्त शुक्रियां आपने समय दिया।
बस आप सब का हाथ मेरे सर पर बना रहे, मैं अपनी तरफ से अच्छा करने का प्रयास करुंगा।
मैं भी प्रजापत और, तुम भी तो हो प्रजापत,
ब्लाग जगत में आने पर मैं करता हूँ स्वागत।
तुमको लिखने की आदत है,
मुझको पढ़ने की ही लत है।
जलता हुआ बुझाया तुमको,
कभी नही अब जलना।
झंझावातों को सह जाना,
फूलों सा काँटों में पलना।
dear
this is really very nice and beautiful.
and it has very deep thought for understand it imagination power should be very high.
And i hope you have very good creativity so use it in a very proper way.
My wishes always with you.
Post a Comment