"विश्व को मोहमयी महिमा के असंख्य स्वरुप दिखा गया कान्हा,
सारथी तो कभी प्रेमी बना तो कभी गुरु धर्म निभा गया कान्हा,
रूप विराट धरा तो धरा तो धरा हर लोक पे छा गया कान्हा,
रूप किया लघु तो इतना के यशोदा की गोद में आ गया कान्हा,
चोरी छुपे चढ़ बैठा अटारी पे चोरी से माखन खा गया कान्हा,
गोपियों के कभी चीर चुराए कभी मटकी चटका गया कान्हा,
घाघ था घोर बड़ा चितचोर था चोरी में नाम कमा गया कान्हा,
मीरा के नैन की रैन की नींद और राधा का चैन चुरा गया कान्हा,
राधा नें त्याग का पंथ बुहारा तो पंथ पे फूल बिछा गया कान्हा,
राधा नें प्रेम की आन निभाई तो आन का मान बढ़ा गया कान्हा,
कान्हा के तेज को भा गई राधा के रूप को भा गया कान्हा,
कान्हा को कान्हा बना गई राधा तो राधा को राधा बना गया कान्हा,
गोपियाँ गोकुल में थी अनेक परन्तु गोपाल को भा गई राधा,
बाँध के पाश में नाग नथैया को काम विजेता बना गई राधा,
काम विजेता को प्रेम प्रणेता को प्रेम पियूष पिला गई राधा,
विश्व को नाच नाचता है जो उस श्याम को नाच नचा गई राधा,
त्यागियों में अनुरागियों में बडभागी थी नाम लिखा गई राधा,
रंग में कान्हा के ऐसी रंगी रंग कान्हा के रंग नहा गई राधा,
प्रेम है भक्ति से भी बढ़ के यह बात सभी को सिखा गई राधा,
संत महंत तो ध्याया किए माखन चोर को पा गई राधा,
ब्याही न श्याम के संग न द्वारिका मथुरा मिथिला गई राधा,
पायी न रुक्मिणी सा धन वैभव सम्पदा को ठुकरा गई राधा,
किंतु उपाधि औ मान गोपाल की रानियों से बढ़ पा गई राधा,
ज्ञानी बड़ी अभिमानी पटरानी को पानी पिला गई राधा,
हार के श्याम को जीत गई अनुराग का अर्थ बता गई राधा,
पीर पे पीर सही पर प्रेम को शाश्वत कीर्ति दिला गई राधा,
कान्हा को पा सकती थी प्रिया पर प्रीत की रीत निभा गई राधा,
कृष्ण नें लाख कहा पर संग में न गई तो फिर न गई राधा."
**************************************************देवल आशीष
3 comments:
NICE
opening with shree krishans (raas lila)
its symbol of love.
true love.
ur a true lover like me
i respect ur feelings nd emotions.
i pray to God for ur love.
bcoj dil se nikli dua ka asar jarur hota hai
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