तुम तो ऐसे नहीं थे.......

Tuesday, February 17, 2009 ·


*~*~*~*~*~*जानवर*~*~*~*~*~*
यही वफ़ा का सिला है, तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तुमने दिया है, तो कोई बात नहीं.
यहीं बहुत है की तुम देखते हो "साहिल" से,
मेरी कश्ती डूब रही है, तो कोई बात नहीं.
रखा था आशियाना-ए-दिल में छूपा कर तुमको,
वो घर तुमने छोड़ दिया है, तो कोई बात नहीं.
तुम्हीं ने आईना-ए-दिल मेरा बनाया था,
तुम्हीं ने तोड़ दिया है, तो कोई बात नहीं
किसकी मजाल कहे कोई मुझको दीवाना,
अगर यह तुमने कहा है, तो कोई बात नहीं.
इश्क के फूल भी खिलते है, बिखर जाते है,
जख्म कैसे भी हो, कुछ रोज में भर जाते है.
उन ख्वाबों में अब कोई नही और हम भी नहीं,
इतने रोज से आये है, चुपचाप गुजर जाते है,
नर्म आवाज, भोली बातें, नरम लहजा,
पहली बारिश में ही, सब रंग उतर जाते है.
रास्ता रोके खड़ी है, वही उलझन कब से,
कोई पुछे तो कहें क्या की किधर जाते है??
*~*~*~*~*तेरे नाम*~*~*~*~*---यहीं तो है
***********************************साथ में जावेद अख्तर

1 comments:

D K Nagda said...
February 19, 2009 at 3:26 PM  

Dard hai bhai saccha dard

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