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*~*~*~*~*~*जानवर*~*~*~*~*~*~*
काश मैं तेरे हसीन हाथों का कँगन होता,
तु बड़े चाव से.....बड़े मन के साथ,
अपनी नाजुक सी कलाई में चढ़ाती मुझको,
और बेताबी से फुरसत के लम्हों में,
तु किसी सोच में डूबकर जो घुमाती मुझको,
मैं तेरे हाथ की "खुशबू" से महक-सा जाता,
जब कभी मुड़ में आकर चुमा करती मुझको,
तेरे होठों कि हिद्त से ढक-सा जाता,
रात को जब भी तु नींद के सफर पर जाती,
मैं तेरे हाथ का एक तकिया बन जाता,
*~*~*~*~*तेरे नाम*~*~*~*~*---यहीं तो है।
2 comments:
सुंदर भावों वाली प्रेम कविता ।
Sapno ki dunia me kuch b ho sakta hai.
socho or socho
sochne se ceativity badti hai.
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